हमने दुनिया के गम उठाए हैं...। हमने दुनिया के गम उठाए हैं...।
ज़िन्दगी ये कैसी जी रहा हूँ मैं, अपनों से ही दूर हो रहा हूँ मैं। एक आग दहकती है इस सीने में, हर दिन उ... ज़िन्दगी ये कैसी जी रहा हूँ मैं, अपनों से ही दूर हो रहा हूँ मैं। एक आग दहकती है इ...
जीवन कैसा बनाएँ ? जीवन संघर्ष है इसलिए कि, निराशा को अपनी पहचान बनाया। जीवन कैसा बनाएँ ? जीवन संघर्ष है इसलिए कि, निराशा को अपनी पहचान बनाया।
जीने के लिए हर रोज़ मरना होता है, यही बताती एक कविता। जीने के लिए हर रोज़ मरना होता है, यही बताती एक कविता।
ज़िंदगी को हर हाल में जीना ही पड़ता है...। ज़िंदगी को हर हाल में जीना ही पड़ता है...।
हौंसले बुलंद हैं ! हौंसले बुलंद हैं !